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व्यर्थ ही मार खा रहे हो जीवन से || आचार्य प्रशांत, श्रीरामचरितमानस पर (2017)

2019-11-05 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />९ जून २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />ज्यों जग बैरी मीन को आपु सहित बिनु बारि ।<br />त्यों तुलसी रघुबीर बिनु गति आपनी बिचारि ।।<br />~ गोस्वामी तुलसीदास<br /><br />प्रसंग:<br />जीवन को राममय कैसे बनाएं?<br />रामचरितमानस को कैसे समझें?<br />तुलसीदास जी के दोहों का अर्थ कैसे समझें?<br />जीवन से मार खाने से क्या आशय है?<br />राम से दूरी किस प्रकार जीवन को नरक बना देती है?<br />माया से किस प्रकार बचें? संसार में पिटाई से कौन बचा सकता है?<br />क्या जीवन के अनुभव राम की ओर ही ले जाते हैं? क्या माया भी कैसे राम से दूर कर देती है?<br />श्रीराम की भक्ति कैसे करें?<br />क्या राम ही जीवन का आधार हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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